अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
— शुक्राचार्य
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं

सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

 दिनांक 21 फरवरी 2022 को हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा मातृभाषा दिवस समारोह 2022 के अवसर पर ‘भारतीय भाषाएं एवं शिक्षा’ गोष्ठी तथा भाषण प्रतियोगिता का आयोजन 


दिनांक 21 फरवरी 2022 को हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा मातृभाषा दिवस समारोह 2022 के अवसर पर ‘भारतीय भाषाएं एवं शिक्षा’ गोष्ठी तथा भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। 

गोष्ठी को संबोधित करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष माननीय प्रति कुलपति प्रो॰ वाई विमला ने कहा कि भाषाएं हमारे व्यक्तित्व, हमारे विचारों की परिचायक हैं। भाषाओं को अधिकाधिक जानने की चेष्ठा करनी चाहिए। भाषा को प्रभावपूर्ण होना चाहिए। ताकि संप्रेषण पूर्णतः हो पाए। अनेक देश ऐसे हैं जहाँ उनकी अपनी मातृभाषा ही बोली जाती है। साहित्यिक सृजन को हम तभी समझ पाएंगे जब भाषाओं को सीखेंगे। मातृभाषा से तात्पर्य है कि हम सभी भाषाओं को सीख सकें और अपनी मातृभाषा की सृजन शक्ति को पहचान सकें एवं उसका सम्मान करें।
गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि वक्ता प्रो॰ वाचस्पति मिश्र ने कहा कि मातृभाषा दिवस मातृभाषा की शक्ति को बढ़ाने और पहचानने का दिवस है। मातृभाषा में काम करने और सीखने वालों का विकास सहज होता है। विकसित देश भी शिक्षा और कार्य अपनी मातृभाषा में करते हैं। हमें हिंदी में शिक्षा शिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।
गोष्ठी में विशिष्ट वक्ता प्रो॰ असलम जमशेदपुरी ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। यह हमारी पहचान है अपनी मातृभाषा का सम्मान करना, उसे विकसित करना और अपने परिवार में अपनाना हमारा कर्तव्य है। 
गोष्ठी में विशिष्ट वक्ता श्री एस॰के॰ दत्ता ने कहा कि मातृभाषा का संरक्षण अनिवार्य है। अर्थ काफी चीजों को संचालित करता है। इसलिए यदि हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को बढ़ाता है तो उसे रोजगार से जोड़ना चाहिए तभी मातृभाषा दिवस सफल होगा।
गोष्ठी में कला संकायाध्यक्ष एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि हमारे देश की सारी भाषाएं भिन्न भाषाएं हैं। मातृभाषाओं को संरक्षित करना अनिवार्य है। विश्वस्तर पर बोलियों को संरक्षित और विकसित करना आवश्यक है। कम्प्यूटर ने इस दिशा में महत्वपूर्ण क्रांति की है। कम्प्यूटर में भाषाओं को सुरक्षित करना आसान हो गया है। 
गोष्ठी के दूसरे सत्र में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें पूजा यादव, निकुंज कुमार, अंजलि पाल, अजय कुमार, छवि ने भाग लिया। 
गोष्ठी का संचालन डॉ॰ विद्यासागर सिंह तथा डॉ॰ आरती राणा शिक्षण सहायक ने किया। संगोष्ठी में डॉ॰ विवेक त्यागी, डॉ॰ अंजू, डॉ॰ यज्ञेश कुमार, डॉ॰ प्रवीण कटारिया, डॉ॰ अरशद तथा हिंदी विभाग के छात्र विनय कुमार, शिवानी, शिवम, काजल प्रियंका, आयुषी, आदि उपस्थित रहे।