अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
— शुक्राचार्य
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं

रविवार, 6 नवंबर 2022


 हिंदी विभाग के शोधार्थी पूजा, अरशदा तथा प्री. पीएच.डी. कोर्सवर्क के विद्यार्थी अभिषेक का जे.आर.एफ. और शोधार्थी पवन कुमार गोस्वामी को नेट उत्तीर्ण होने हुए। विभाग की ओर से बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं.....