अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
— शुक्राचार्य
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं

शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

आओ देवताओं का पता करें कि......



आओ कि देवताओं से साक्षात्कार करते हैं, पूछते हैं उनसे 
कि किस तरह रहते हैं इतनी उॅंचाई पर हमसे दूर रहकर 
हमारी आपदाओें पर हंसते हुए 
आओ देखें कि किस तरह उनका कटता है 
दूसरों की विपत्तियों पर हंसते हुए उनका दिन 
कैसे गुजरती हैं उनकी रातें ।


हमारी अन्धकार भरी दुनिया से दूर , पर सूरज के इतने समीप रहते हुए
कैसे-कैसे सपने देखते हैं ये देवता 

कि आओ
नजदीक से देखते हैं इन्हैं
देखते हैं कैसे स्कूलों में पढ़ा-लिखा इन्होंने और
कैसे स्कूल हैं इनके जहाँ पढ़ रहे हैं इनके बच्चे
और यह भी कि देवता क्या सिखा रहे हैं अपने मासूम बच्चों को
और देखें कैसे गोरे, काले विचारों और रूपों के बन रहे हैं उनके बच्चे
अपने अलावा और दीन-दुनिया की कैसी समझ है उनकी
अपने से बाकी लोगों और उनके बच्चों के बारे में ।


और यह भी कि क्या उनको
अपने अस्तित्व की गलतफहमी अभी भी है
या उनको या उनको पता चल चुका है कि
उनका अस्तित्व अब संकट में है और
कोई वकील या न्यायालय कह सकता है उनके बारे में
कि वे कभी किसी घर में पैदा हुए थे या बेघर ही रहे सदा
या कि उनको अपना अस्तित्व बचाने के लिए जाना होगा न्यायालय के पास
और अपने तथा अपने पिता की वल्दियत के सबूत ठीक-ठीक लेकर ।

देखो कि आसमान में कोई है बुलाता है तुम्हैं
आओ देखो, किस तरह गढ़ी
जाती हैं स्वर्ग के तोरण द्वार की उॅंचाई
जहाँ आमोखास अपनी औकात के अनुसार ही पाते हैं प्रवेश
बाकी को उनका कोई सिपाही ही बता देता है बाहर का रास्ता।

आओ पता करें देवताओं से कि
उन्होंने बनाया कि नहीं अपना कोई नया संविधान
या वे पुराने संविधान से ही चला रहे हैं काम
और दीन दुनिया को समझ और हाँक रहे हैं पुराने कानूनों से ।
और इस तरह, किसी तरह ही चला रहे हैं अपना काम
आओ पता करें देवताओं से उन्होंने बंद किया कि नहीं
अपने अधीनस्थ देवताओं का शोषण बंद
या या उन की पहचानों पर आयद हो रहीं है
अभी भी उनकी बेतरतीब सी कार्यविभाजन नीति ।


आओ आग और पानी के देवता से इन, उन से, सबसे
सबसे पता करते हैं कि उनको पता है कि नहीं अपनी असलियत
कि उनके अस़्त्र-शस्त्र अब हो चुके पुराने
और उनके नए रिसर्च में भी कोई चमत्कार नहीं रहा ।


आओ देखें देवताओं के पुराने गुप्तचर भी
पुरानी चर परंपरा से ही चल रहे हैं या कि
पीछे हैं बहुत हमारे आबाओं-बाबाओं से
वक्ताओं से भक्तों से


जो दोहन कर रहे हैं उसी देवता के लोक का ।
तो आओ चलना ही होगा देवताओं के लोक में
यह जानने के लिए कि देवता कैसे कैसे चला रहे हैं
उतनी बिगड़ी व्यवस्था से अपना काम ।


आओ बताए उन्हें कि मनुष्य अब बढ़ गया है काफी आगे
और यहीं इसी दुनिया से पता कर ले रहा है उनके लोक की हलचल और खलबली
और देवता तुम्हारे औजारों, आविष्कारों में लग गया है जंक
और तुम्हारे नाम पर वसूली करने बालों की पौ बारह हो रही है।

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