(नारायण महाविद्यालय में‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ पर गोष्ठी एवं मानव श्रृंखला बनाकर
पटेल जयन्ती मनायी गयी)
|
डा0महेश आलोक बोलते हुए |
शिकोहाबाद- ‘अगर सरदार पटेल देश के प्रथम प्रधानमंत्री होते तो कश्मीर समस्या जो आज विकराल रुप धारण किये है,उसका समाधान हो गया होता। पटेल ने राष्ट्रीय एकता एवं उसकी आन्तरिक सुरक्षा के लिय के लिये जो आत्मबल तथा साहस दिखाया,वह अनुकरणीय है। वे अन्तःकरण से निर्भीक थे। ।’यह विचार नारायण महाविद्यालय के प्राचार्य डा0वी0के0सक्सेना ने ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल जयन्ती’ के अवसर पर ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ पर आयोजित विचार गोष्ठी में व्यक्त किये। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए डा0ए0के0कुलश्रेष्ठ ने कहा कि पटेल महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित थे,उन्ही के प्रभाव से स्वतंत्रता आदोलन में सक्रिय हुए,लेकिन उनकी असली पहचान अपने स्वतंत्र और व्यवहारिक निर्णयों की वजह से थी। युवा कवि आलोचक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष डा0 महेश आलोक ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल उप प्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे। सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना। विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो।वे आधुनिक भारत एवं राष्ट्रीय एकता के शिल्पी थे। डा0 अनुपमा चतुर्वेदी ने पटेल के विचारों को उधृत करते हुए कहा कि राजनैतिक दूरदर्शिता के वे अचूक प्रमाण थे। डा0एस0पी0पालीवाल एवं डा0रेखा पचैरी ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।
इसके पूर्व पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया तथा उप-प्राचार्य डा0 जे0के0अवस्थी ने ‘राष्ट्रीय एकता एवं उसकी आन्तरिक सुरक्षा’ के सन्दर्भ में शपथ दिलायी।इसके पश्चात महाविद्यालय के
अध्यापको,शिक्षणेत्तर कर्मचारियों एवं छात्रों की विशाल उपस्थिति ने मानव श्रृंखला बनाकर लौह-पुरुष सरदार पटेल के समाजिक,सांस्कृतिक एवं राजनैतिक मूल्यों एवं राष्ट्रीय एकता के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता को प्रतीक के रुप में प्रदर्शित किया।
|
शपथ लेते शिक्षकों,शिक्षणेत्तर कर्मचारियों एवं छात्रों की विशाल उपस्थिति |
|
मानव श्रृंखला का विहंगम दृश्य |
----------------------------
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें