अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
— शुक्राचार्य
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं

शनिवार, 12 मार्च 2022

 दिनांक 12 मार्च 2022 को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘हिंदी की अन्तरराष्ट्रीयता एवं रोजगार की संभावनाएं’ का शुभारम्भ बृहस्पति भवन में किया गया।





























 


 







































हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ


आज दिनांक 12 मार्च 2022 को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘हिंदी की अन्तरराष्ट्रीयता एवं रोजगार की संभावनाएं’ का शुभारम्भ बृहस्पति भवन में किया गया।
उद्घाटन सत्र ‘हिंदी की अन्तरराष्ट्रीयता और रोजगार की संभावनाएं’ की अध्यक्षता माननीय प्रति कुलपति प्रो0 वाई0 विमला ने की। मुख्य अतिथि श्री अनिल जोशी, उपाध्यक्ष केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा, विशिष्ट अतिथि डॉ0 बीना शर्मा, निदेशक, केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा, विशिष्ट अतिथि प्रो0 सत्यकाम, समकुलपति, इग्नू, नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि प्रो0 रामप्रसाद भट्ट, आचार्य, हेम्बर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी शामिल रहे। 
प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग में सभी अतिथियों एवं विषय विशेषज्ञों का स्वागत किया। स्वागत भाषण में प्रो॰ लोहनी ने कहा कि हम तकनीक में पिछड़े हैं। ंिहंदी फॉण्ट को लोकप्रिय नहीं बना पाए हैं। हिंदी को विज्ञान की भाषा नहीं बना पाए। सरकारी नीतियों में भाषा संबंधी प्रयास भी कम है। नई शिक्षा नीति में हिंदी को लेकर कोई विशेष कार्य हिंदी क्षेत्र मंें नहीं हो पाया है। आजादी के 75 वर्षों में जो विकास होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया। हिंदी को भारत में पहले लोकप्रिय होना चाहिए। विश्व भाषा की चर्चा बाद का प्रश्न है।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो0 वाई0 विमला ने कहा कि हिंदी की स्थिति वही है जो हमने बनाया है। ये हमारे प्रयासों का ही परिणाम है। विश्व के 80 प्रतिशत देशों में हिंदी को बोला समझा जा सकता है। हिंदी वहीं होगी जैसा उसे बनाऐंगे। हिंदी संस्कृत की पुत्री है इसलिए संस्कृत का साहित्य हिंदी में विलय हो गया है। हिंदी का बोलीगत रूप हर दिशा में विद्यमान है। हिंदी भारत की राजभाषा है इसलिए इसका आदर करना और कराना दोनों ही जरूरी है।
मुख्य अतिथि श्री अनिल जोशी ने कहा कि हिंदी वहाँ है जहाँ भारतीय डायस्पोरा है। फिजी की रामायण मण्डलियों ने 80 से 90 प्रतिशत स्कूलों को चलाया है। हिंदी की अन्तराष्ट्रीयता प्रवासी सहित्य, नृत्य, संगीत, हिंदी फिल्मों में परिलक्षित होता है, हिंदी फिल्मों की लोकप्रियता विदेशों में चरम पर है। नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को वह महत्व मिला है, जिसकी वे अधिकारिणी हैं। ज्ञान पद्धतियों और शिक्षा नीतियों में जीवन मूल्यों का प्रश्न, भाषा का प्रश्न है। भाषा, मात्र भाषा नहीं यह जीवन मूल्यों, रोजगार की भाषा है। अंग्रेजी हमारी शक्ति बने, हमारी बैसाखी नहीं। 
विशिष्ट अतिथि डॉ0 बीना शर्मा ने कहा कि हिंदी मात्र साहित्य और संस्कार की भाषा नहीं बल्कि रोजगार की भाषा भी है। समर्थ अभिव्यक्ति रोजगार दिलाती है। हिंदी में रोजगार की अनंत संभावनाएं हैं। हमारे पाठ्यक्रम रोजगारपरक होने चाहिए। भाषाई कौशलता के विकास के बिना रोजगार की संभावनाएं सृजित नहीं होगी।
विशिष्ट अतिथि प्रो0 सत्यकाम ने कहा कि ऑनलाईन जीवन शैली ने हमारे सुनने के कौशल को प्रभावित किया है। हिंदी भी देश से बाहर मजदूर और किसानों के साथ गिरमिटिया मजदूरों के रूप में गई। वहीं प्रवासी हिंदी साहित्य के रूप में हिंदी साहित्य के सम्मुख है। मॉरीशस भारतीय संस्कृति का तीर्थ है। भारतीय पौराणिक पात्रों के आधार पर अंग्रेजी में सबसे ज्यादा लिखा जा रहा है। अंतराष्ट्रीयता के संदर्भ में हिंदी को भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि के तौर पर देखना चाहिए। नई शिक्षा नीति भारत की पहली शिक्षा नीति है जिसमें पहली बार मातृभाषा में ज्ञानार्जन का प्रस्ताव हैं। यह स्वयं में एक क्रांतिकारी कदम है। हिंदी जन भाषा है। प्रधान मंत्री जब देश से बाहर हिंदी बोलते हैं तो वे भारत को बोल रहे होते है। अपनी पूर्ण अस्मिता के साथ हिंदी बाजार की भी भाषा है। अंग्रजी शब्दों का प्रयोग हिंदी की अस्मिता के लिए कोई खतरा नहीं बल्कि उसकी व्यापकता की विशेषता है। मशीनी अनुवाद 70-80 प्रतिशत तक सही हो रहा है। हिंदी बहुत लचीली भाषा है।
विशिष्ट अतिथि प्रो0 रामप्रसाद भट्ट ने कहा कि भाषा संस्कृति, समाज, भूगोल की प्रतिनिधि है। हिंदी का दायरा बहुत विशाल है, उसे समझने के लिए विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है। हिंदी की शब्द सम्पदा का संरक्षण, प्रयोग को बढाया देने की आवश्यकता है। औद्योगिक क्षेत्र में हिंदी जानने, समझने वालो की आवश्यकता है। हिंदी की संप्रेषण क्षमता बड़ी मजबूत है। भारतीय प्रधानमंत्री के यूरोपिय दौरों में हिंदी प्रयोग से विदेशों में हिंदी के प्रति सम्मान बढ़ा है।
उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ0 नरेन्द्र मिश्र, आई0 आई0 एम0 टी0 विश्वविद्यालय, मेरठ ने किया।
संगोष्ठी का दूसरा सत्र ‘भारतीय भाषाएं हिंदी और नई शिक्षा नीति’ पर केन्द्रित रहा। दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रो॰ बीना शर्मा, निदेशक, केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा ने की मुख्य अतिथि प्रो॰ सविता मोहन, पूर्व निदेशक, उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तराखण्ड, विशिष्ट अतिथि प्रो॰ प्रदीप कुमार मिश्रा, निदेशक, सी॰पी॰आई॰एच॰ई॰ नीपा, नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि प्रो॰ नरेश मिश्र, पूर्व विभागाध्यक्ष, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, हरियाणा उपस्थित रहे। 
सत्र की अध्यक्षता प्रो0 बीना शर्मा, निदेशक, केन्द्रीय हिंदी संस्थान ने की।
सत्र की मुख्य अतिथि प्रो0 सविता मोहन ने कहा कि भाषा सत्ता से जुड़ी रहती है। अंग्रेजों की शिक्षा नीति और भाषागत नीतियॉ आज भी व्यवहार में लाई जा रही है। नई शिक्षा नीति में यह परिवर्तन हुआ और स्थानीय भाषाऐं, मातृ भाषाऐं शिक्षण के केन्द्र में आई। जापान अपनी मातृभाषा में शिक्षण के बल पर विश्व में तकनीकी विकास किया। इस देश में आप शैक्षिक स्तर पर वर्ण व्यवस्था की परम्परा चल रही। जिसे हमें बदलना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि डॉ0 प्रदीप कुमार मिश्रा ने कहा कि भारत की नई शिक्षा नीति रोजगार परक है और भाषा उसकी माध्यम हैं। हिंदी में अपनी जड़ों से जुडकर ही विकास किया जा सकता है। आधुनिक प्रविधियों से जुड़कर ही हिंदी का विकास होगा और रोजगार सृजित होंगे। नई शिक्षा नीति की अभी और अधिक व्याख्या और विश्लेषण की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि प्रो॰ नरेश मिश्र ने कहा कि मातृभाषा बड़ी ताकतवर है जिसमें जोर नहीं लगाना पड़ता है। हिंदी शब्द सागर 11 खण्डों में नागिरी प्रचारिणी सभा ने प्रकाशित किया है। हिंदी में स्वाभिमान तभी जागृत होगा जब हिंदी की उच्चारणिक सिद्धांतों की जानकारी होगी।    
संगोष्ठी में शोध पत्रों की प्रस्तुति सत्र में कु0 प्रतिभा, ममता चावडा, डॉ0 निकेता, सविता, डॉ0 कल्पना महेश्वरी ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में डॉ॰ वंदना शर्मा, डॉ॰ कविता त्यागी, डॉ॰ रामयज्ञ मौर्य, डॉ॰ असलम खान, डॉ॰ दिनेश कुमार, डॉ0 राजेश कुमार, डॉ0 विपिन शर्मा, डॉ0 विद्यासागर सिंह, डॉ0 प्रवीण कटारिया, डॉ0 अंजू, डॉ0 आरती राणा, डॉ0 यज्ञेश कुमार, डॉ0 योगेन्द्र सिंह, दीपा, मोहनी कुमार, कु0 पूजा, विनय कुमार, प्रगति, पूजा यादव, रीना, डॉ0 उमा उपाध्याय, नितिन कुमार सचिन, उपेन्द्र, वसीम खान, स्वाति, अंजलि, काजल, राधा, शिवम, शिवानी, आयुषी, प्रियंका, निकुंज, आदि उपस्थित रहे।

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