कुछ समय के लिये स्थगित कर दें प्रेम
- महेश आलोक
चलो कुछ समय के लिये स्थगित कर दें प्रेम
स्थगित कर दें इच्छायें
कुछ वैचारिक संरचनायें
यह समय है जब ईश्वर के पके बालों को गिरने दें
पृथ्वी पर। स्थगित कर दें उसे गिरने से रोकना
बाजार के नियम लागू होने दें उस पर
दुनिया की विशाल तख्ती को थोड़ा और फैलायें
कल्पना में। कल्पना में कल्पना को स्थगित कर दें
कर दें स्थगित
स्थगित होने की क्रिया को
बहुत लंबे समय तक स्मृतियों में रहना मुश्किल है
स्मृतियों को स्थगित कर दें
केवल चलने दें सांसों को सांसों के भीतर
केवल स्थगित कर दें प्रेम
प्रेम को जीवित रखने के लिये
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- महेश आलोक
चलो कुछ समय के लिये स्थगित कर दें प्रेम
स्थगित कर दें इच्छायें
कुछ वैचारिक संरचनायें
यह समय है जब ईश्वर के पके बालों को गिरने दें
पृथ्वी पर। स्थगित कर दें उसे गिरने से रोकना
बाजार के नियम लागू होने दें उस पर
दुनिया की विशाल तख्ती को थोड़ा और फैलायें
कल्पना में। कल्पना में कल्पना को स्थगित कर दें
कर दें स्थगित
स्थगित होने की क्रिया को
बहुत लंबे समय तक स्मृतियों में रहना मुश्किल है
स्मृतियों को स्थगित कर दें
केवल चलने दें सांसों को सांसों के भीतर
केवल स्थगित कर दें प्रेम
प्रेम को जीवित रखने के लिये
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1 टिप्पणियाँ:
AAjkal aap kahan hain, prem sthgit kar lene ke bad ................
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