बेतरतीब
फागुनी मौसम ने अपना रंग दिखाया और एक पारम्परिक होली गीत तैयार हो गया।इसे भी इस डायरी का हिस्सा बना रहा हूँ।
आप भी उसका आनन्द लें। ब्रज की होली के रंग में डूबकर-
होली का गीत
होरी खेलन आज सजन घर आ गयो री
छेड्यौ फागुन राग सजन घर आ गयो री
रंग अबीर गुलाल उड़ायौ
सखियन ने हुड़दंग मचायौ
खोल्यौ दिल के राज सजन घर आ गयो री
हुरियारे हैं घर पर आयौ
बाबा देवर सा मुस्कायौ
खूब करैं उत्पात सजन घर आ गयो री
भंग चढ़्यौ मौसम बौरायौ
साजन ने चुनरी सरकायौ
कौन करे अब लाज सजन घर आ गयो री
चोली अंगिया सब रंग डारी
ऐसी तो पिचकारी मारी
गारी देवैं सास सजन घर आ गयौ री
होरी खेलन आज सजन घर आ गयो री
छेड्यौ फागुन राग सजन घर आ गयो री
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