अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
— शुक्राचार्य
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं

शुक्रवार, 11 मार्च 2022

 आज दिनांक 11 मार्च 2022 को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के बीच समझौता ज्ञापन (डव्न्) पर विश्वविद्यालय समिति कक्ष में दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए। केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा एवं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के मध्य बहुउद्देशीय समझौता ज्ञापन संपन्न हुआ:-

इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत संस्थान के विद्यार्थी खड़ी बोली (कौरवी) उसकी भाषिक संस्कृति और उसके लोक साहित्य की विभिन्न विधाओं से परिचित हो सकेंगे। जिसमें विद्यार्थियों को हिंदी लोकतत्व अध्ययन से जुड़े विषयों जैसे: लोक साहित्य, लोक भाषा, लोक संस्कृति, लोकोक्ति और मुहावरे, तुलनात्मक अध्ययन आदि के व्यवहारिक रूप से परिचित होने का अवसर मिलेगा। केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को हिंदी भाषा के मानकीकरण, हिंदी के स्वरूप में अद्यतन बदलाव एवं हिंदी व्याकरणिक चिंतन के विकास की प्रक्रिया से संबंधित प्रासंगिक पक्ष को तार्किक ढंग से समझने और प्रयोग में लाने का अवसर मिलेगा तथा वे विदेशी विद्यार्थियों की संस्कृति से भी परिचित हो सकेंगे। समझौता ज्ञापन में दोनों संस्थानों की शिक्षण, शोध तथा आपसी आदान प्रदान संबंधी योजनाओं पर व्यापक चर्चा हुई। विश्वविद्यालय के हिंदी तथा शिक्षा विभाग इसके केन्द्र के रूप में कार्य करेंगे। इस अवसर पर पूर्व में संस्थान तथा हिंदी विभाग के संयुक्त कार्यक्रमों की चर्चा भी हुई। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की कुलपति प्रो॰ संगीता शुक्ला ने कहा कि प्रत्येक दो माह पर दोनों संस्थानों के नोडल अधिकारियों की बैठक होती रहनी चाहिए ताकि समझौता को गति प्रदान की जा सके। बाहर के विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ कॉमन पाठ्यक्रम तैयार कर सकते हैं। ताकि पठन-पाठन की प्रक्रिया को अधिक वैश्विक और भविष्योन्मुख बनाया जा सके। भारतीय कंपनियों के उत्पादों से जुड़े उत्पादों का ऑपरेटिंग मैनुअल भारतीय भाषाओं हिंदी में बनाए जाने का नियम हो। इस दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए। 
केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा की निदेशक डॉ॰ बीना शर्मा ने कहा कि हिंदी संस्थान में उपलब्ध संसाधनों का लाभ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के विद्यार्थियों को प्राप्त हो सकेगा। यह दो कुलों का मिलन है। जिससे अध्ययन-अध्यापन प्रगति के नए आयाम जुड़ेगे। 
केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के उपाध्यक्ष प्रो॰ अनिल जोशी ने कहा कि विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के आदान-प्रदान से वैश्विक संस्कृति एवं साहित्यिक संभावनाओं को गति प्रदान की जा सकेगी। विद्यार्थीं विदेशी हिंदी भाषा शिक्षण की प्रासंगिक विधियों और समस्याओं के अध्ययन विश्लेषण से जुड़े विषयों पर कार्य कर सकेंगे। 
विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति प्रो॰ वाई विमला ने कहा कि विज्ञान को सािहत्य में रूपान्तरण एक अनिवार्य पहलू है। इसलिए विश्वविद्यालय के स्तर पर अनुवाद को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है।
कार्यक्रम का संयोजन संचालन प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग ने किया। प्रो॰ लोहनी ने कहा कि संस्थान की अंतरराष्ट्रीय पहचान है इससे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को संस्थान के आठों केन्द्रों में जुड़ने का मौका  मिलेगा। विश्वविद्यालय के कुलसचिव धीरेन्द्र कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। 
 इस अवसर पर प्रो॰ हरे कृष्णा, प्रो॰ एस॰एस॰ गौरव, प्रो॰ विजय जयसवाल, प्रो॰ भुपेन्द्र राणा, श्री अनुपम श्रीवास्तव, शिवप्रकाश शर्मा, श्री एस॰एन॰ शर्मा, श्रीमती सरोज शर्मा, डॉ॰ आरती राणा, डॉ॰ विद्यासागर सिंह, डॉ॰ अंजू, डॉ॰ प्रवीण कटारिया, डॉ॰ यज्ञेश कुमार, मोहनी कुमार, विनय कुमार उपस्थित रहे।

















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