अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
— शुक्राचार्य
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं

सोमवार, 10 दिसंबर 2012

सशक्त कथा शिल्पी कामतानाथ को हार्दिक श्रद्धांजलि- महेश आलोक


सशक्त कथा शिल्पी कामतानाथ को हार्दिक श्रद्धांजलि-  महेश आलोक

       सशक्त कथा शिल्पी के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने वाले रचनाकार कामतानाथ का  लखनऊ स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस में शुक्रवार की रात लगभग 9 बजे निधन हो गया.वह 78 वर्ष के थे ।.समांतर कहानी आंदोलन के प्रमुख रचनाकार कामतानाथ के छह उपन्यास और 11 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. उन्हें ‘पहल सम्मान’, ‘मुक्तिबोध पुरस्कार’, ‘यशपाल पुरस्कार’, ‘साहित्य भूषण’ और ‘महात्मा गांधी सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है।
प्रमुख कृतियां - उपन्यास : समुद्र तट पर खुलने वाली खिड़की, सुबह होने तक, एक और हिन्दुस्तान, तुम्हारे नाम, काल-कथा (दो खंड)
कहानी संग्रह : छुट्टियाँ, तीसरी साँस, सब ठीक हो जाएगा, शिकस्त, रिश्ते-नाते, कथांतर (संपादित)
नाटक : दिशाहीन, फूलन, कल्पतरु की छाया, दाखला डॉट काम, संक्रमण, वार्ड नं एक (एकांकी), भारत भाग्य विधाता (प्रहसन), प्रेत (हेनरिक इब्सन के नाटक : घोस्ट का हिन्दी अनुवाद), औरतें (गाइ द मोपांसा की कहानियों पर आधारित नाटक)
      

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