अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
— शुक्राचार्य
कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं

शनिवार, 6 नवंबर 2010

हम खुश हैं कि ताकतवर आदमी खुश है

              दुनिया का सबसे ताकतवर आदमी उतर गया हमारी धरती पर
                             (अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत आगमन पर)
                                                                                                     
                                                                                                              -महेश आलोक


दुनिया का सबसे ताकतवर आदमी उतर गया हमारी धरती पर
और हम खुश हैं

वह हमें देखेगा। छुएगा। हम
सोना हो जाएंगे

धन है। बल है। छल है। कल है
हर समस्या का हल है उसके पास

उसके चलते ही हमारी सड़कें नयी हो जाएंगी
जैसे गांधी नए हो जाएंगे
उनकी समाधि नयी हो जाएगी
हमारे समुद्र हमारी नदियां हमारे पेड़
हमारी संसद नयी हो जाएगी

उसकी दबंगई से हमारे ईश्वर नए हो जाएंगे

 हम खुश हैं कि ताकतवर आदमी खुश है
 हम खुश हैं कि हम अपनी नागरिकता का शुल्क
 अदा कर रहे हैं

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4 टिप्पणियाँ:

ASHOK BAJAJ ने कहा…

'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्‍य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।

दीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर

ग्राम-चौपाल में आपका स्वागत है
http://www.ashokbajaj.com/2010/11/blog-post_06.html

यासमीन,पटना ने कहा…

अद्भुत कविता है। बधाई!

babanpandey ने कहा…

बहुत ही सुंदर महेश जी ...पूंजीवादी व्यवस्था पर बहुत ही अच्छा कटाक्ष ..

शिवानन्द नौटियाल,भोपाल ने कहा…

महेश जी, मारक कविता है।बधाई। ऎसे ही लिखते रहें।

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